नई दिल्ली / एजेंसियां ; G -20 का सफल आयोजन कर दुनियां के इतिहास में आज भारत ने एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इस सफल आयोजन का पूरा -पूरा श्रेय मोदी सरकार की सफल विदेश नीती और कारगर कूटनीति को जाता है। इस आयोजन की सबसे खाश बात ये रही कि भारत ने एक प्रश्ताब रखा कि कोई भी देश किसी भी देश को किसी भी तरह की परमाणु युद्ध की धमकी नहीं देगा,, आगे प्रश्ताब पर चर्चा के दौरान 4 बार उक्रैन या उक्रैन युद्ध का जिक्र आया,, लेकिन किसी ने भी रूस का नाम नहीं लिया ,सबसे बड़ी बात अमेरिका के राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी ने भी रूस का नाम लेने से परहेज किया। लेकिन दुनियां की नजरें तो रूस और उसके मतलबी दोस्त चीन पर टिकी हुईं थी ,कि रूस और चीन का इस प्रशताब पर क्या रवैया होगा,,लेकिन आज की इस बदली हुई दुनियां ,,और उस दुनियां में भारत की बढ़ती हुई ताकत के आगे इन दोनों मुल्कों ने हथियार डालना ही उचित समझा। और इस प्रशताब पर अपनी सहमति देनी ही उचित समझी। और प्रशताब भारी बहुमत से पास हो गया। इसके इलावा बिना पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बगैर आतंकबाद पर भी बेहद गंभीर चर्चा हुई , चर्चा के दौरान 9 बार आतंकबाद का जिक्र हुआ और इस बात पर सहमति हुई कि आतंकबाद दुनियां की सुरक्षा के लिए एक बेहद गंभीर और सबसे बड़ा खतरा है। जिससे हम सब मिलकर सामूहिक रूप से लड़ेंगे। और देखते ही देखते ये प्रशताब भी भारी बहुमत से पास हो गया। एक और बड़ी बात आपको बताते चलें ,बिना चीन का नाम लिए विस्तारबादी एजेंडा चलाने वाले देशों पर भी गर्मागर्म चर्चा हुई ,और विस्तारबाद का एजेंडा चलाने वाले देशों को भी उनकी हद याद दिलाई गई। हालांकि चीन ने इस मुद्दे को लटकाने की पुरजोर कोशिश की,,,कभी उक्रैन युद्ध में नाटो और अमेरिका की दखलंदाजी की बात की तो कभी युद्ध कोई समस्या का हल नहीं ,,इस तरह की बातें की,, लेकिन मोदी की कूटनीती और USA के सहयोग के चलते चीन की एक नहीं चली। और चीन को इस प्रशताब के आगे भी अपना सिर झुकाना पड़ा। इसके आगे मोदी जी ने कहा कि दुनियां के बदलते परिवेश में विस्तारबाद के लिए कोई जगह नहीं रह गई है, अब किसी बात की बात होगी तो सिर्फ और सिर्फ अब तो बराबरी की बात होगी। एक और बेहद खाश बात ,,,, रूस की तरफ से राष्ट्रपति पुतिन की जगह उनके विदेशमंत्री और चीन के राष्ट्रपति की तरफ से चीन के प्रधानमंत्री आये थे।