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जज ने एक ही दिन में सुना दिए 65 फैसले,,, रिकार्ड के साथ बन गया इतिहास

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली हाई कोर्ट की एक जज ने अपनी रिटायरमेंट के अंतिम दिन सुना 65 फैसले सुना कर एक तरह का रिकॉर्ड बना डाला। इन जज का नाम है जस्टिस मुक्ता गुप्ता। अलग-अलग डिविजन बेंचों की अगुवाई करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्‍ता ने तरह-तरह के मामलों में अलग अलग निर्णय दिए। इनमें हत्‍या से लेकर बलात्‍कार,चोरी,डकैती के कई मामले शामिल हैं। इन मामलों में मृत्युदंड पाए कैदी की सजा को 20 साल तक यानी उम्रकैद में बदलने का फैसला शामिल है। जस्टिस गुप्ता ने दिल्‍ली हाई कोर्ट में 14 साल बतौर जज गुजारे हैं। रविवार को जब दिल्‍ली हाई कोर्ट में सोमवार के कामकाज की लिस्ट आई तो सभी हैरान थे। पता चला कि जज साहिबा आज 65 मामलों में फैसला सुनाने बालीं हैं। चूंकि इस वक्त अदालत छुट्टी पर चल रही है, ऐसे में तय वक्त पर तयशुदा बेंच ही बैठती है। नतीजा, केवल बेहद ज़रूरी मामलों पर ही सुनवाई हो पाती है। फैसला सुनाना तो बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन सोमवार को तो मानो जैसे सब कुछ बदल गया हो। जस्टिस गुप्ता की बेंच के सामने कई मशहूर वकीलों और वादियों की लम्बी लाइन लगी थी। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कुछ महत्वपूर्ण केसों में जो फैसला सुनाया उनमें सबसे पहले जस्टिस गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने 12 साल की बच्ची को फिरौती के लिए अगवा करने और बाद में उसकी हत्या करने के आरोपी को मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। जस्टिस गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में दोषी में सुधार होने की संभावना खत्म नहीं होती। और यह भी साबित नहीं किया जा सकता कि हत्या पूर्व नियोजित थी। हालांकि ये मामला समाज को झकझोरने के लिहाज से यह काफी पैशाचिक और खतरनाक है। इसी बैंच ने पुलिस हिरासत में प्रताड़ित करने के कारण एक 26 वर्षीय युवक की हुई मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के पांच पुलिसकर्मियों को अदालत द्वारा सुनाई गई 10 साल जेल की सजा को जस की तस बरकरार रखा। बैंच ने अपने 60 पन्नों के फैसले में शिकायतकर्ता ( मृतक के पिता ) की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ( गैर इरादतन हत्या ) की बजाय दोषियों पर धारा 302 ( हत्या ) के तहत दोषसिद्धि का अनुरोध किया गया था। यहाँ हम आपको बताते चलें कि जस्टिस मुक्ता गुप्ता हाई कोर्ट का जज बनने से पहले हाई कोर्ट में पब्लिक प्रॉसीक्यूटर थीं। और सुप्रीम कोर्ट में भी कई हाई प्रोफाइल मामलों में जिरह कर चुकी हैं। इसलिए बहुत जल्द ये आपको सुप्रीम कोर्ट में नज़र आयें